जब भिखारी ने अधिकारी से कहा साहब इतना कष्ट क्यों किया बताते तो मै चारपहिया गाड़ी भेज देता

भोपाल जिला प्रशासन की ओर से भिक्षावृत्ति पर पूर्ण विराम लगा दिया गया है। मतलब अब राजधानी में भीख मांगना और भीख देना दोनो अपराध की श्रेणी में आता है। आदेश जारी हुए करीब पांच दिन हो चुके हैं। इस आदेश के बाद करीब तीन दिन तक जिला प्रशासन की टीम ने भिखारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया और भिखारी बेखौफ होकर हर चौक चौराहे पर भीख मांगते रहे। और दूसरी तरफ पुलिस इस बात का इंतजार कर रही थी कि कोई भिखारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए तो वो कार्रवाई करेंगे। किसी नागरिक ने भिखारियों के खिलाफ शिकायत तो नहीं की लेकिन मीडिया ने जब इस मामले को गंभीरता से लिया और आदेश का हवाला देते हुए भिखारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने की खबर प्रकाशित की तो खुद जिला प्रशासन की टीम मैदान पर उतर पड़ी। जिला प्रशासन की टीम जब भिखारियों के पास पहुंची और उन्हे भिक्षुक आश्रय केन्द्र चलने के लिए कहा तो कुछ भिखारियों ने अधिकारियों को ऐसी बातें कहीं जिससे अधिकारी भी हैरान और परेशान हो गए। जिला प्रशासन की टीम जब भिक्षुकों को लेने कमलापार्क पहुंची और एक भिखारी को भिक्षुक आश्रय केन्द्र चलने को कहा तो उसने कहा साहब नीलबड़ में मेरा 25 लाख का मकान है मै भिक्षुक केन्द्र क्यों जाऊं। अगर मै भिक्षुक गृह गया तो मेरे घर में कोई कब्जा कर लेगा। मैने भिक्षा मांग कर 25 लाख का मकान खरीदा है। और रोज भीख मांगता हूं। इस दौरान भिखारी ने अधिकारी से ऐसी बात कही कि अधिकारी भी हैरान और परेशान हो गए। भिखारी ने अधिकारी से कहा साहब आपको आना था तो बता देते मै आपको लेने के लिए अपनी कार भेज देता आप परेशान तो नहीं होते। एक और ऐसा ही मामला सामने आया जब एक और भिखारी के पास टीम पहुंची तो उसका कहना था कि वो इलेक्ट्रीशियन है पार्ट टाइम के लिए भीख मांगता है इसमें उसका अच्छा धंधा हो जाता है। गौरतलब है कि कलेक्टर की तरफ से जारी आदेश के अनुसार भोपाल में भीख मांगने पर पूर्ण प्रतिवंध लगा दिया गया है और भिखारियों के पुनर्वास के लिए प्रशासन अलग-अलग व्यवस्था कर रहा है लेकिन भिखारी न तो भिक्षुक आश्रय केन्द्र जाना चाहते हैं और न ही वो भीख का धंधा छोड़ना चाहते हैं। अब जिला प्रशासन इस बात से परेशान है कि इनके खिलाफ कार्रवाई क्या की जाए?
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