संविदा कर्मियों की कब मनेगी दिवाली,विभागों द्वारा नीति पर अमल नहीं होने से संविदा कर्मी नाराज

प्रदेश का मुखिया भले बदल गया हो लेकिन अब तक संविदा कर्मियों की मुस्किलें कम नहीं हुई हैं बल्कि जस की जस बनी हुई हैं| दरअसल सीपीआई के आधार पर वेतन देने के मामले में मचे हड़कंप के बाद अब विभागों द्वारा नीति पर अमल नहीं किए जाने से संविदा कर्मियों में सरकार के प्रति खासी नाराजगी देखने को मिल रही है| संविदा कर्मियों का तर्क है कि 2018 से लेकर पिछले साल तक छह साल में सरकार ने दो बार नीति बनाई| 60 प्रतिशत विभागों में अमल नहीं हुआ| पिछले साल सरकार ने नौ घोषणाएं की थी जिसमें अब तक सिर्फ एक में ही अमल किया गया है| वेतन को लेकर पूरे किए गए वादे में भी अनेक विसंगतियां हैं| इस मामले में संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने प्रदेश के नए मुख्य सचिव को एक मेमोरेंडम भेजा है| महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के पहले राज्य सरकार द्वारा नियमित कर्मचारियों के समान वेतन देने,अनुकंपा नियुक्ति देने,ग्रेच्युटी देने,अवकाश,स्वास्थ्य बीमा सीपीआई इंडेक्स के आधार पर वेतन देने जैसी घोषणा हुई थी| सीपीआई इंडेक्स के आधार पर वेतन तो दे दिया गया लेकिन ज्यादातर संविदा कर्मचारियों ग्रेड- पे कम कर दिया गया| कुक्कुट विकास निगम,मैप आईटी सहित अन्य उपक्रमों एवं निगम मंडलों में इन दोनों संविदा नीतियों का पालन नहीं किया गया| कूट विकास निगम में संचालक मंडल की बैठक में पिछले साल की नीति पर अमल किए जाने के लिए प्रस्ताव पारित हो गया था| सिर्फ आदेश जारी होना था लेकिन यह काम नहीं हुआ| वहीं ग्रेड-पे कम करने से महज एक साल में आठ हजार से अधिक याचिकाएं हाईकोर्ट पहुंच गई हैं| कर्मचारियों ने याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है|
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