एमपी की सियासत का टाइगर कौन? शिवराज,सिंधिया और अब केपी यादव ने खुद को कहा टाइगर,क्या हैं इसके मायने

Aug 29, 2024 - 15:20
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एमपी की सियासत का टाइगर कौन? शिवराज,सिंधिया और अब केपी यादव ने खुद को कहा टाइगर,क्या हैं इसके मायने

मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट दर्जा प्राप्त राज्य है लेकिन यहां की राजनीति में भी टाइगरों का काफी दबदबा देखने को मिलता है| दरअसल यहां की राजनीति में खुद को टाइगर कहलाना नेता गर्व की बात मानते हैं| शायद एमपी की राजनीति में टाइगर एक स्टेटर्स बन गया है| किसी जमाने में दिवंगत नेता श्रीनिवास तिवारी को टाइगर के नाम से एमपी की राजनीति में जाना था उनके जाने के बाद कई साल एमपी की राजनीति में कोई दूसरा टाइगर नहीं आया| साल 2019 में फिर एमकी की राजनीति में टाइगर ने प्रवेश कर लिया| इस बार टाइगर बने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान जब उन्होने सरकार जाने के बाद अचानक एक बयान देकर कहा कि टाइगर अभी जिंदा है| एक टाइगर तो दहाड़ मार ही चुका था वहीं जब प्रदेश की सत्ता का तख्ता पलट हुआ और शिवराज सिंह चौहान राज भवन से सीएम पद की शपथ लेकर आ रहे थे उन्ही के पीछे केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का काफिला निकला उन्होने भी अपने बयान में कहा कि टाइगर अभी जिंदा है| कुल मिला कर एमपी की राजनीति में दूसरा टाइगर आ गया प्रवेश कर चुका था तब से अब तक एमपी में दो टाइगर ही थे लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मुंगावली में धार्मिक आमसभा के दौरान पूर्व सांसद डॉ.केपी यादव मंच से स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग मुझे देखकर उदास हो रहे हैं लेकिन वो कुछ कह नहीं पा रहे हैं लेकिन मैं आपको बता दूं कि आप लोग उदास ना हो, बंसी वाले पर भरोसा कीजिए क्योंकि“टाइगर अभी जिंदा है" अब एमपी की राजनीति में तीन टाइगर हो चुके हैं| लेकिन असल बात यह है कि प्रदेश की सियासत का असली टाइगर कौन है| क्या यह महज एक जुमला बन कर रह गया है अथवा प्रदेश की राजनीति का भी कोई टाइगर है|

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