बीजेपी प्रदेश कार्यालय में लिखे अटल जी के विचार से कानाफूसी का दौर तेज
मप्र में पिछले कुछ दिनों में काफी सियासी उलटफेर देखने को मिले हैं (madhya pradesh bjp)। सोच से परे फैसले हुए बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों का गणित फैल हो गया। और प्रदेश की सियासत में 18 साल से खड़ा वटवृक्ष एक झटके में धराशाही हो गया। जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार फिर बनाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी लेकिन जिस प्रकार से शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) को सीएम पद से हटाया गया वो किसी के गले से नहीं उतर रहा है। लोग अब भी यही सोच रहे हैं कि आखिर उनके राजनीतिक गणित में कहां चूक रह गई। प्रदेश का सीएम बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने प्रेसवार्ता आयोजित कर कहा कि वो दिल्ली जाकर अपने अधिकार की मांग करने से बेहतर मरना पसंद करेंगे। बात यहीं खत्म नहीं हुई, डॉ. मोहन यादव (mohan yadav) के शपथ लेने के तुरंत बाद लाल परेड ग्राउंड के बाहर जिस प्रकार का परिदृष्य देखने को मिला वह साफ बता रहा था कि यह पूर्व नियोजित है। मीडिया के सामने दुखड़ा रोना और फिर यह कहना कि यह अंत नहीं है मै लौट कर आउंगा यही दर्शाता है कि रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया। इन सब बातों को ध्यान में रखें और फिर बीजेपी प्रदेश कार्यालय में लिखे अटल (atal bihari vajpayee) जी के विचार को पढ़े तो ऐसा लगता है कि किसी ब्यक्ति को ध्यान में रख कर यह लाइनें लिखी गई हैं। 'मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़े एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े' आज की राजनीति को देखकर ऐसा लगता है कि यह लाइनें ठीक उसी वट वृक्ष के लिए हैं जो पिछले 18 साल से अनवरत खड़ा था कई आंधी और तूफान आए लेकिन कोई उस वट बृक्ष को हिला नहीं पाया लेकिन इस बार की सुनामी से वो वट वृक्ष जमीन से उखड़ कर धराशाही हो गया।
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