आदिवासी वोट पर भाजपा की नजर,संघ ने संभाला मोर्चा
भारतीय जनता पार्टी अपनी कमजोर कड़ी पर हमेशा जनर रखती है और उसमें सुधार करने का प्रयास करती है। लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी वोटबैंक (adivasi votebank) को अपनी तरफ करने के लिए अपने अलग-अलग अनुशांगिक संगठनों को मैदान में उतार दिया है। उन्ही अनुशांगिक संगठनों में भाजपा का सबसे प्रमुख अंग है 'संघ' जिसके पदाधिकारियों ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में डेरा डाल दिया है। Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से 24 सीटें ही जीत पाई थी। और 23 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए लोकसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर भाजपा अधिक फोकस कर रही है। भाजपा की तरफ से संघ प्रचारकों ने आदिवासी सीटों और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मोर्चा संभाल लिया है। छिंदवाड़ा जिले में महाराष्ट्र के संघ प्रचारक प्रभारी बनाए गए हैं। संघ प्रचारकों ने गांव में ही डेरा डाल दिया है। संघ के कार्यकर्ता लगातार आदिवासियों के बीच समय बिता रहे हैं। कुछ गांव में संघ की शाखा से दिनचर्या की शुरुआत की जा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित 47 में से 14 विधानसभा सीटों पर भाजपा को कम वोट मिले थे। यहां 2023 के विधानसभा चुनाव में 22 सीटों पर कम वोट मिले थे। भाजपा और संघ ने इन सीटों पर विधानसभा प्रभारी भी बनाए हैं। कम वोटिंग वाली सीटों पर प्रभारी,सह प्रभारी और संयोजक नियुक्त किए गए हैं।
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