बसपा के वर्चश्व वाली 69 सीटों पर भाजपा की नजर
मप्र के विधानसभा चुनाव में बसपा हमेशा छुपी रुस्तम साबित होती रही है (bsp mp)। आंकड़ो के हिसाब से उसके पास सीटें एक या दो ही रहती हैं लेकिन प्रदेश में 69 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जिनमें बसपा का हमेशा वर्चश्व रहा है। जिसके कारण कांग्रेस और भाजपा को संतुलन बनाने में काफी दिक्कतें होती रही हैं। प्रदेश के एससी वर्ग का झुकाव भी बसपा की तरफ रहा है। प्रदेश में लगातार नौ फीसदी वोट भी बसपा को मिलता रहा है। कुछ सालों में बसपा के कमजोर होने से उसका वोट बैंक छिटकने लगा है लेकिन यह भाजपा को ना मिल कर कांग्रेस को जाता है। साल 2013 में भाजपा के पास एससी वर्ग की 28 सीटें थीं, जबकि साल 2018 में घट कर 18 रह गई। भाजपा की यही चिंता है, ऐसे में बसपा के वोट बैंक पर भाजपा की नजर लगातार बनी हुई है। इस स्थिति से निपटने के लिए संत रविदास मंदिर (sant Ravidas) और सुमित्रा वाल्मीकि (Sumitra Valmiki) को राज्यसभा सदस्य बनाने जैसे निर्णय को प्रचारित कर भाजपा बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा रही है। भाजपा ने साल 2018 में हुए नुकसान की भरपाई के लिए और कुछ जातियों का साथ पाने के लिए इस वर्ग के कई नेताओं को अपने साथ मिलाया है। उत्तरप्रदेश सहित मध्यप्रदेश में अहिरवार,चौधरी,साकेत और जाटव जैसी जातियां बसपा का परंपरागत वोट बैंक रही हैं। वर्ष 2023 के चुनाव में भी इनके वोट निर्णायक भूमिका अदा करेंगे।इस बीच भाजपा ने बसपा के कई नेताओं को अपने पाले में कर लिया है। भाजपा की चिंता यह है की उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश में अहिरवार, चौधरी, साकेत और जाटव जैसी जातियां बसपा का परंपरागत वोट रही है आप पार्टी के कमजोर पढ़ने के बाद भी यह जातियां बसपा को छोड़ कांग्रेस का साथ दे रही हैं। भाजपा ने इन जातियों के नेताओं को टिकट दिया तो भी जीत नहीं दिला पाई। ग्वालियर- चंबल और विंध्य में इन जातियों के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। यही कारण है कि अब बीजेपी इन जातियों का साथ पाने के लिए छोटे-छोटे नेताओं को तोड़ रही है। बसपा की पूर्व विधायक उषा चौधरी, सत्य प्रकाश सकवार जैसे नेताओं को भाजपा में शामिल कराया गया है। भिंड से बसपा विधायक संजीव कुशवाहा को भाजपा में शामिल तो कर लिया है लेकिन अभी उनका टिकट घोषित नहीं किया गया है। कांग्रेस भी एससी वोट के लिए पूरी कोशिश कर रही है। पार्टी ने वर्ष 2018 में बसपा से चुनाव लड़ने वाले कैलाश कुशवाहा को पहरी और सब सिंह गुर्जर को ग्वालियर ग्रामीण से प्रत्याशी बनाया है।

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