विंध्य में सामंजस्य बैठाने में चूकी भाजपा,गणेश सिंह और रीति पाठक दोनों सबसे कमजोर उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची (BJP Second List) में तीन केन्द्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को टिकट देकर सभी को चौका तो दिया है लेकिन भाजपा का विंध्य में गणेश सिंह (Ganesh Singh) और रीति पाठक (Riti Pathak) पर लगाया दांव खाली जा सकता है। दरअसल भाजपा नेताओं के मुताबिक गणेश सिंह विंध्य से बड़े कुर्मी नेता हैं लेकिन हकीकत तो यही है कि वो सिर्फ कुर्मी नेता ही हैं उसके अलावा वो और कुछ नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में सतना की जनता पीएम मोदी का चेहरा देख कर गणेश सिंह को वोट देती है जिसके कारण गणेश सिंह चुनाव जीत जाते हैं और उनकी उस जीत को भाजपा ने गणेश सिंह की जीत मान लिया है। लेकिन गणेश सिंह पर कट्टर कुर्मी नेता होने का ठप्पा लगा है वो अपने घर में ब्राम्हणों का आना तक पसंद नहीं करते हैं जिसके कारण ब्राम्हण वर्ग के लोग गणेश सिंह से दूर ही रहती है। ऊपर से भाजपा ने गणेश सिंह को जिस सीट से टिकट दिया है वो ब्राम्हण बाहुल सीट है। गणेश सिंह को टिकट मिलते ही सतना में एक ही बात चल रही है अबकी बार गणेश विसर्जन पर वार। दूसरी तरफ सीधी से दो बार की सांसद रीति पाठक को चुनाव मैदान में उतारा गया है जिस सीट से रीति पाठक को मौका मिला है वो सीट भाजपा के कद्दावर नेता केदारनाथ शुक्ला की है जिसमें वो कई बार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन पेशाब कांड (Sidhi Peshab Kand) के छीटे इतना ज्यादा फैले कि केदारनाथ को टिकट से हाथ धोना पड़ा। अब टिकट नही मिलने के बाद केदारनाथ शुक्ला (Kedarnath Shukla) बगावती मूड में आ गए हैं और अगर वो बागी होते हैं तो रीति पाठक का चुनाव जीतना संभव नहीं हो पाएगा। इसके अलावा भाजपा रीवा से राजेन्द्र शुक्ला (Rajendra Shukla) को बड़ा और ब्राम्हण नेता मानती है लेकिन उन्हे रीवा जिले की जनता अपना नेता नहीं मानती। राजेन्द्र शुक्ला की खुद की सीट खतरे में है और भाजपा उनके भरोसे रीवा की सभी आठ सीटों को टारगेट कर रही है। कुल मिला कर भाजपा के पास विंध्य में नेता नहीं है और वहां की जनता इस बार भाजपा से काफी नाराज है जिसको खत्म करने के लिए भाजपा के पास कोई खास प्लान भी नहीं है।

What's Your Reaction?






