संविदा कर्मियों को भाजपा सरकार ने दिया धोखा,नियमित के समान वेतन और सुविधा का किया वादा,आज तक नहीं किया पूरा
विधानसभा चुनाव (madhya pradesh elections) से पहले प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) ने जमकर पंचायतों का आयोजन किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अलग-अलग विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों (samvida workers) की महापंचायत बुलाई। सभी संविदा कर्मियों को बड़े-बड़े प्रलोभन दिए गए और उसका फायदा भाजपा को वोट के रुप में हुआ। सभी संविदा कर्मियों ने एकमुस्त भाजपा को वोट दिया और उसका परिणाम ये निकला की भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ प्रदेश में सरकार बनाई। जबकि सर्वे और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने का दावा नहीं किया जा रहा था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद प्रदेश के अलग-अलग विभागों में पदस्थ संविदा कर्मियों ने शिवराज सिंह चौहान के वादे पर विश्वास किया और वोट दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वादे के मुताबिक संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन और अन्य जितनी भी शासकीय सुविधाएं हैं वो सभी देने का वादा किया गया था। इसके लिए फर्जी आदेश भी जारी किए गए जिससे संविदा कर्मियों को लगे कि सरकार अपने किए वादे पर कायम है और प्रक्रिया जारी है। घोषणा के कुछ समय बाद चुनाव आचार संहिता लग गई तब तक संविदा कर्मी यह ढाढ़स बांध कर बैठे रहे कि चुनाव आचार संहिता लगने के कारण सरकार उनको वेतन और सुविधाएं नहीं दे पार रही। लेकिन इस बीच सरकार ने भले अपना वादा पूरा न किया हो लेकिन संविदा कर्मियों ने अपना वादा भाजपा के पक्ष में वोट देकर निभाया और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाई। सरकार तो बनी लेकिन मुख्यमंत्री बदल गए जिसके बाद प्रशासनिक अमले ने संविदा कर्मियों की सुध नहीं ली। आज तक संविदा कर्मियों से किया वादा पूरा नहीं हुआ। खुले तौर पर कहा जाए तो वोट के नाम पर भाजपा की सरकार ने संविदा कर्मियों को ठगने का काम किया है। अब सभी संविदा कर्मी लोकसभा चुनाव में अपना बदला लेने की योजना बना रहे हैं।

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