छिंदवाड़ा-राजगढ़ का दुर्ग जीतने में जुटी बीजेपी,रीवा-सतना में BSP कर रही सेंधमारी
मिशन 2024 फतह करने में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने अपना सारा फोकस छिंदवाड़ा (chhindwara) और राजगढ़ (rajgarh)में कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के लोकसभा चुनाव (lok sabha ekections) में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटें जीतने का संकल्प लिया है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी का हर छोटा बड़ा नेता पहले छिंदवाड़ा फिर राजगढ़ की बात करता नजर आ रहा है। भाजपा के नेताओं का मानना है कि छिंदवाड़ा को जीत लिया तो प्रदेश की अन्य 28 सीटें मोदी और उनकी गारंटी के बल पर ही जीत जाएंगे। जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है। जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी छिंदवाड़ा और राजगढ़ को जीतने के लिए ब्यूह रचना करने में जुटी है उससे यह स्पष्ट है कि भाजपा नेताओं ने खुद को दो संसदीय क्षेत्रों में ही सीमित कर लिया है। भाजपा ने जिस प्रकार रणनीति अपनाई है उससे एक कहावत याद आती है। 'आधी छोड़ पूरी को धावै-पूरी मिलै न आधी पावै' मतलब साफ है कि भाजपा ने छिंदवाड़ा और राजगढ़ जीतने की रणनीति तो बना ली लेकिन सतना,रीवा और सीधी बीजेपी के हाथ से फिसलती नजर आ रही है। भाजपा ने रीवा और सतना में अपने थके हुए प्रत्याशियों को वहां की स्थानीय जनता के ऊपर थोपने का काम किया है। सतना से चार बार के सांसद गणेश सिंह को पांचवीं बार मौका दिया है तो वहीं रीवा से दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है जो निस्क्रिय नेता माने जाते हैं। सतना में गणेश सिंह के लिए कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा चुनौती दे ही रहे हैं लेकिन बीएसपी ने नारायण त्रिपाठी को चुनाव में उतार कर मोदी की गारंटी को संशय में डाल दिया है। ठीक उसी प्रकार रीवा में भाजपा ने जनार्दन मिश्रा और कांग्रेस ने नीलम मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है। दोनों पार्टियों में ब्राम्हण उम्मीदवार होते ही बीएसपी ने कुर्मी को अपना प्रत्याशी बना दिया है जिससे बीएसपी की संभावनाएं मजबूत हो गई है। सीधी की बात करें तो कमलेश्वर पटेल भीजेपी उम्मीदवार पर भारी पड़ते दिख रहे हैं पैसों की भी उनके पास कमी नहीं है जिसे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह मंच पर भी स्वीकार कर चुके हैं। मतलब साफ है कि भाजपा छिंदवाड़ा और राजगढ़ का दुर्ग जीतने में लगी है और विंध्य में बीएसपी सेंधमारी कर रही है।

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