लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप का दंश झेल रही कांग्रेस में सिर फुटव्वल का माहौल,पोस्टमार्टम की उठी मांग

मप्र कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बदला लेकिन उसके हालात नहीं बदले नतीजे के तौर पर कांग्रेस को छह महीने के अंदर दूसरी सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। और इस बार की हार ने तो लोकसभा में प्रदेश से आखिरी चिराग को भी बुझा कर रख दिया। मतलब छिंदवाड़ा सीट जो कांग्रेस का अभेद्य किला मानी जाती थी उस सीट पर भी कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। अब इतनी बड़ी हार के बाद पार्टी में सिर फुटव्वल तो होनी ही थी। अभी तक शांत बैठे पार्टी के बड़े नेता अब खुल कर प्रदेश नेतृत्व के विरोध में उतर आए हैं। सबसे अधिक घेराबंदी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ,दिग्विज सिंह और अध्यक्ष जीतू पटवारी की हो रही है। कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस विधानसभा का चुनाव हारी और जब पार्टी में जान फूंकने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी तो उनके कार्यकाल में तीन विधायक सहित कई बड़े नेता उन पर आरोप मढ़ कर भाजपा में चले गए। अब कांग्रेस नेताओं का बड़ा वर्ग जीतू पटवारी ,कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को हार का जिम्मेदार बताते हुए आरोपों की बौछार कर रहा है तो दूसरा वर्ग राष्ट्रीय नेतृत्व से संगठन की समीक्षा की मांग कर रहा है। चुरहट से विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह (राहुल) ने कहा कि जीतू पटवारी के कार्यकाल की जांच होनी चाहिए कि उनके कार्यकाल में बड़ी संख्या में नेताओं ने पार्टी क्यों छोड़ी। वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि सिर्फ छिंदवाड़ा की हार का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में पार्टी हारी है इसका पता करने के लिए पोस्टमार्टम होना चाहिए। कमलनाथ के कहने का मतलब साफ है कि इतनी बड़ी हार की वजह सिर्फ प्रत्याशियों का प्रदर्शन नहीं बल्कि कुछ और है। वहीं बड़ी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी नदारत बताए जा रहे हैं वो मीडिया के सामने आने से भी बच रहे हैं क्योंकि अब कांग्रेस ईवीएम पर भी ठीकरा नहीं फोड़ सकती है लिहाजा अब एक नए। बहाने की तलाश में प्रदेश अध्यक्ष समय का इंतजार कर रहे हैं।
What's Your Reaction?






