सवर्ण बाहुल्य विंध्य में कांग्रेस ने ओबीसी चेहरा कमलेश्वर पटेल को आगे कर सवर्णों के जख्म पर छिड़का नमक

ओबीसी नेताओं की खोज में जुटी कांग्रेस पार्टी ने विंध्य से कमलेश्वर पटेल (Kamleshwar patel) को आगे कर सवर्णों को नाराज कर दिया है। इस बात में कोई शक नहीं कि देश की सबसे बड़ी सवर्णों की आबादी विंध्य क्षेत्र में रहती है यही कारण रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी का विंध्य में सालों तक वर्चश्व रहा है। लेकिन इन दोनों नेताओं के स्वर्गवासी होने के बाद कांग्रेस पार्टी किसी भी सवर्ण नेता की खोज इतने सालों में नहीं कर पाई या फिर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने विंध्य से सवर्ण नेताओं को पनपने नहीं दिया। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी ने विंध्य में सवर्णों के जख्म पर मरहम लगाने के बजाय नमक छिड़ने का काम किया है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने विंध्य से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (Congress Working Committee) का सदस्य बना दिया है। ये वही कमलेश्वर पटेल हैं जिनके निवास पर ब्राम्हण वर्ग का कोई ब्यक्ति जाता है तो उसे किसी प्रकार का महत्व नहीं दिया जाता है। 15 महीनों तक कमलेश्वर पटेल मंत्री रहे उस दौरान उनके बंगले में जितने स्टाफ थे सभी कुर्मी समाज के ही थे। यहीं नहीं कोई भी सवर्ण वर्ग का ब्यक्ति कमलेश्वर पटेल के पास अपना काम अथवा फरियाद लेकर जाता था तो कमलेश्वर पटेल उस ब्यक्ति को दरवाजे के बाहर कर देते थे अथवा घंटों तक इंतजार करवा कर वो उससे अंत में मिलते थे और काम भी नहीं करते थे। ऐसे व्यक्ति को कांग्रेस ने विंध्य की ओर से चेहरा बना कर खुद के पैर में कुल्हाड़ी मारने का काम कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की रणनीति पर नजर डालें तो सवर्ण वर्ग भाजपा से भी नाराज था लेकिन भाजपा ने सवर्ण वर्ग को खुश करने के लिए अलग-अलग उपाय तैयार किए जिसमें भाजपा की ओर से गिरीश गौतम (Girish Gautam) को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया ये बात और है कि गिरीश गौतम का कोई जनाधार नहीं है वो अपने बेटे तक को जिला पंचायत के चुनाव में नहीं जिता पाए और इस चुनाव में उनकी हालत और खराब है। भाजपा के दूसरे बड़े चेहरे हैं राजेन्द्र शुक्ला (Rajendra Shukla) जो लोगों के व्यक्तिगत काम तो नहीं करते लेकिन शहर का विकास राजेन्द्र शुक्ला ने बढिया किया है और सहज-सरल व्यक्ति होने के नाते राजेन्द्र शुक्ला चुनाव जीतने में कामयाब हो जाते हैं ये बात और है कि नगर निगम के चुनाव में वो इस बार भाजपा को नहीं जिता पाए और रीवा में कांग्रेस का महापौर बन गया। रीवा सहित पूरे विंध्य का इतिहास उठा कर देखें तो विंध्य में ब्राम्हण और ठाकुरों का वर्चश्व रहा है इन्ही के इर्द- गिर्द राजनीति चलती रही है लेकिन कांग्रेस ने कमलेश्वर पटेल जैसे जातिवादी नेता को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बना कर अपने लिए विंध्य में ज्यादा मुसीबतें खड़ी कर ली है। कांग्रेस के इस फैसले से सवर्णों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस को विंध्य की 30 सीटों में मात्र छह सीटें मिली थी बांकी 24 सीटें भाजपा के कब्जे में आई थी और उस परिणाम को बदलने के लिए कांग्रेस ने इस बार काफी मेहनत की है लेकिन कमलेश्वर को आगे कर कांग्रेस पार्टी ने खुद की मेहनत पर ही पानी फेर दिया है और इसके अलावा कमलेश्वर पटेल और अजय सिंह (राहुल) की दुश्मनी भी किसी से छुपी नहीं है लिहाजा अब तो विंध्य में कांग्रेस के लिए भगवान ही मालिक है।

Aug 27, 2023 - 09:53
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सवर्ण बाहुल्य विंध्य में कांग्रेस ने ओबीसी चेहरा कमलेश्वर पटेल को आगे कर सवर्णों के जख्म पर छिड़का नमक
Kamleshwar Patel

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