डॉ. नरोत्तम मिश्रा के लिए उमड़ा ब्राह्मणों का जन सैलाव,जम कर लगे नारे
देश में ब्राम्हण भी खूब हैं और नेता भी खूब हैं लेकिन ऐसा एक भी ब्राम्हण नेता नहीं जो ब्राम्हणों के हित की बात खुलेआम करता हो। आज प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला (rajendra shukla) हैं जो किसी ब्राम्हण के कार्यक्रम में जाने से परहेज करते हैं वहीं किसी मुस्लिम के टेंट हाउस का शुभारंभ करना हो तो वो उसका रिबन काटने के लिए समय से पहले पहुंच जाते हैं। एक और ब्राम्हण नेता बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (vd sharma) हैं जिनके निवास पर ब्राम्हण जाते हैं तो वो पहले ही कह देते हैं कि मै कोई ब्राम्हण नेता नहीं हूं। कुछ हद तक गोपाल भार्गव (gopal bhargava) अपने क्षेत्र में कोशिश करते हैं लेकिन वो भी बेमन होकर। और एक हैं पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा जिसको प्रदेश के हर कोने का ब्राम्हण राजनीति से हट कर अपना नेता मानता है। क्योंकि डॉ. नरोत्तम मिश्रा (narottam mishra) का ही एक ऐसा दरवाजा है जो ब्राम्हणों के हित के लिए 24 घंटे खुला रहता है। ऐसा भी नहीं है कि डॉ. नरोत्तम मिश्रा सिर्फ ब्राम्हणों के हित की ही बात करते हैं वो हर समाज के विकास की बात करते हैं और हर समाज के ब्यक्ति के सुख समृद्धि की हमेशा कामना करते हैं। असल में ब्राम्हण भी वही है जो समाज के हर वर्ग की बात करे। आज देश का हर वर्ग ब्राम्हणों को गाली देने में ब्यस्त रहता है लेकिन कभी कोई यह नहीं सोचता कि ब्राम्हतों ने शिक्षा देने में कभी कोई भेदभाव नहीं किया। ब्राम्हणों के दरवाजे जिस समाज का भी ब्यक्ति गया उसके कल्याण की बात ब्राम्हण करता है। मंगलवार को गुना में ब्राम्हणों के होली मिलन में जब डॉ. नरोत्तम मिश्रा पहुंचे तो वहां पर मौजूद ब्राम्हण समाज के लोगों ने दोनों बाहें फैला कर उनका स्वागत किया। डॉ. नरोत्तम मिश्रा का जब तक संबोधन चला उसका एक-एक शब्द लोग ऐसे सुन रहे थे जैसे श्रीमद भगवत गीता का पाठ चल रहा हो। डॉ. नरोत्तम मिश्रा को आज ब्राम्हण वर्ग के समर्थन की जरुरत है क्योंकि एक ब्राम्हण हजार पर भारी होता है।

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