चुनाव में संभावित हार देखकर भी सियासी जमीन बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे कई कांग्रेस नेता
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव (vidhansabha elections) खत्म होते ही लोकसभा चुनाव (lok sabha elections) का शंखनाद कर दिया था। एमपी बीजेपी की ही बात करें तो कांग्रेस अब भी अपने सभी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है। उधर बीजेपी ने न सिर्फ उम्मीदवारों का ऐलान किया है बल्कि शक्ति केन्द्रों पर पथ सम्मेलन,होली के मौके पर 'मोदी की राम-राम' लेकर भाजपा के कार्यकर्ता घर-घर पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के सातों मोर्चे और जितने भी अनुशांगिक संगठन हैं सभी घर-घर जाकर लगातार वोटरों से संवाद कर रहे हैं और इतना सबकुछ होने के बाद भी कांग्रेस के कुछ नेताओं को लग रहा है कि वो चुनाव में भाजपा को न सिर्फ टक्कर देंगे बल्कि वो जीत कर आएंगे। जबकि हकीकत यही है कि उन्हे इस बात का पूरी तरह से अहसास है कि चुनाव में उनकी करारी हार होने जा रही है। उन्ही नेताओं में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह,कांतीलाल भूरिया सहित कई ऐसे कांग्रेस नेता हैं जिन्हें मालूम है कि चुनाव में उनकी क्या दशा होने वाली है लेकिन पार्टी ने उम्मीदवारों के अभाव में इन बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतरने का आदेश दिया है तो वो भी अपनी सियासी जमीन बचाए रखने के लिए ना-ना करते-करते चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। अब सवाल इस बात का उठता है कि जिस ईवीएम मशीन का दिग्विजय सिंह अब तक विरोध करते रहे हैं और उसमें फर्जी मतदान पड़ने का मीडिया के सामने डेमो भी देते रहे हैं अब उसी ईवीएम मशीन से दिग्विजय सिंह के लिए भी जनता वोट करेगी। दिग्विजय सिंह के ईवीएम को लेकर समय-समय पर लगाए गए आरोपों से यह सिद्ध होता है कि वो चुनाव में पहले से ही हारने का मन बना कर चुनाव मैदान में उतरे हैं। क्योंकि दिग्विजय सिंह को ईवीएम मशीन पर विश्वास नहीं है और उन्हे उसी ईवीएम की शरण में जाना पड़ेगा और चुनाव जीतना है तो उसी ईवीएम की आरती भी उतारनी पड़ेगी। कांग्रेस के कुछ अन्य उम्मीदवार भी हैं जो यह दम भर रहे हैं कि वो चुनाव में खुद के दम पर जीत दर्ज कर लेंगे। बाद में कहते हैं ईवीएम में गड़बड़ी के कारण कुछ भी हो सकता है। वहीं कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और कहते हैं की पूरी पार्टी को भगवान राम का श्राप लगा है कांग्रेस के लोगों ने भगवान राम के प्रकोष्टव का आमंत्रण ठुकराया था उसके बाद से ही पार्टी की दुर्दशा होनी शुरु हो गई है।

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