अबकी बार धर्मेश चतुर्वेदी पर विश्वास

पंडित दीन दयाल के आदर्शों पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी आज ब्राम्हण वर्ग के साथ किस प्रकार का ब्योहार करती है उसकी बानगी सतना के जनसेवक धर्मेश चतुर्वेदी (Dharmesh Chaturvedi) के साथ देखने को मिली। धर्मेश चतुर्वेदी सतना (Satna) के उन जनसेवकों में शुमार किए जाते हैं जो 24 घंटे जनता की सेवा में जुटे रहते हैं। लेकिन लोकतंत्र में अगर जनता की ठीक से सेवा करनी है तो उसके लिए चुनाव लड़ना और जीतना जरुरी है। क्योंकि जन आकाक्षाओं को पूरा करना जरुरी होता है यही कारण है कि धर्मेश चतुर्वेदी ने जनता की सेवा के लिए राजनीति में आना स्वीकार किया। धर्मेश चतुर्वेदी ने 2009 में बीएसपी से टिकट लेकर चुनाव लड़ा राजनीति का नया अनुभव होने के कारण वो चुनाव में तो जीत दर्ज नहीं कर पाए लेकिन धर्मेश चतुर्वेदी ने जनता का दिल जीत लिया। स्थानीय जनता ने धर्मेश चतुर्वेदी पर इतना विश्वास जताया कि धर्मेश चतुर्वेदी ने जनता की सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। सतना में धर्मेश चतुर्वेदी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस नेताओं ने भी उनसे करीबता बनाई लेकिन कहानी में ट्विस्ट उस वक्त आया जब भाजपा नेता अरविंद मेनन ने धर्मेश चतुर्वेदी से मुलाकात की और उन्हे भारतीय जनता पार्टी (MP BJP) में काम करने के लिए कहा। इस आफर पर जब धर्मेश चतुर्वेदी ने ज्यादा ध्यान नहीं किया तब अरविंद मेनन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से धर्मेश चतुर्वेदी की फोन पर बात करवाई। फोन का स्पीकर खोल कर रखा गया और कई नेताओं के बीच मुख्यमंत्री ने धर्मेश चतुर्वेदी को भाजपा में काम करने के लिए कहा उन्ये यह भी आश्वासन दिया गया कि चुनाव के बाद निगम मंडल में अध्यक्ष बनाया जाएगा।जिसके बाद वो भाजपा में काम करने के लिए राजी हो गए। दरअसल धर्मेश चतुर्वेदी सतना में ब्राम्हण नेता के रुप में पहचान रखते हैं,ब्राम्हणों के बीच उनकी लोकप्रियता को भाजपा लोकसभा चुनाव में गणेश सिंह के लिए भुनाना चाहती थी।सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह को चुनाव जिताने के लिए यह सब रणनीति तैयार की गई थी क्योंकि 2009 के बाद से धर्मेश चतुर्वेदी ने सतना की स्थानीय जनता और ब्राम्हणों के दिल में जिस प्रकार से अपने लिए जगह बनाई थी तो उसका लाभ भाजपा लेना चाहती थी। भाजपा को इस बात का शुरु से अहसास था कि गणेश सिंह को चुनाव जिताना है तो ब्राम्हणों का समर्थन जरुरी है। और धर्मेश चतुर्वेदी ब्राम्हणों के दिल में बसते हैं फिर क्या था भाजपा की तरफ से भावनात्मक ड्रामा रचा गया और 2014 में धर्मेश चतुर्वेदी को भाजपा में शामिल करवा दिया गया। भाजपा की रणनीति कामयाब भी हुई धर्मेश चतुर्वेदी के अजय सिंह (राहुल) से संबंध भी अच्छे थे फिर भी उन्होने भाजपा में शामिल होकर पूरी निष्ठा के साथ गणेश सिंह के लिए चुनाव प्रचार किया और गणेश सिंह एक बार फिर चुनाव जीत गए। इस बीच धर्मेश चतुर्वेदी को भाजपा ने कई काम दिए जिसमें उन्हे 27 पोलिंगों का इंचार्ज बनाना शामिल है। इसके बाद बारी आई चित्रकूट उपचुनाव की यहां से धर्मेश चतुर्वेदी की उपेक्षाओं का दौर शुरु हो गया। नतीजा यह निकला कि यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की। कहते हैं कि जनता की सेवा का जिसने संपल्प लिया हो उसके लिए किसी दल या संगठन की जरुरत नहीं होती,जनसेवक धर्मेश चतुर्वेदी ने भाजपा से उपेक्षित होने के बाद हार नहीं मानी और वो केसरिया हिंदुस्तान,विंध्योदय सेना के साथ जुड़ कर लगातार जनता की सेवा करते रहे। जनता की सेवा करते-करते अब स्थानीय जनता की एक ही इच्छा है कि भाजपा इस विधानसभा चुनाव में धर्मेश चतुर्वेदी को टिकट दे जिससे वो विधायक बन कर जनता की और ताकत के साथ मदद कर पाएं।

Aug 20, 2023 - 15:48
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अबकी बार धर्मेश चतुर्वेदी पर विश्वास
Dharmesh Chaturvedi

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