डॉ. नरोत्तम मिश्रा राजनीति की चलती फिरती पाठशाला,जिसने जीवन में हारना नहीं सीखा
मप्र में नेताओं की कमी नहीं है लेकिन बात जब पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (dr narottam mishra) की आती है तो सभी के शिर खुद ब खुद उनके सजदे में झुक जाते हैं। संसदीय ज्ञान ऐसा कि सालों तक लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व सीएम कमलनाथ (kamal nath) भी उनकी बातों का तोड़ नहीं निकाल पाते हैं। एक वाक्य याद आता है जब कांग्रेस पार्टी शिवराज सरकार (shivraj government) के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई। लेकिन उस अविश्वास प्रस्ताव को पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने पल भर में तहस नहस कर दिया। राजनीतिक गलियारों में पूर्व सीएम शिवराज और डॉ. नरोत्तम मिश्रा को एक दूसरे का विरोधी कहा जाता है लेकिन जब भी पूर्व सीएम पर शंकट आया है तो सबसे पहले डॉ. नरोत्तम मिश्रा उनकी ढाल बन कर खड़े हुए। साल 2019 में भाजपा की सरकार जाने के बाद जिस प्रकार से डॉ. नरोत्तम मिश्रा के प्रयासों से फिर भाजपा की सरकार बनी उसमें पूर्व गृह मंत्री की क्या भूमिका थी अब किसी से छुपी नहीं है। फिर कोरोनाकाल में डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी जिस प्रकार से संभाली और वैक्सीनेशन के काम को जिस प्रकार से उन्होने गति दी उसके अलावा आवागमन के माध्यम बंद होने के वाबजूद पूर्व गृह मंत्री ने लोगों को खासकर मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का लगातार प्रयास किया और उसमें वो सफल भी रहे। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में डॉ. नरोत्तम मिश्रा चुनाव हार गए लेकिन उन्हे पार्टी ने ज्वाइनिंइ कमेटी का संयोजक बनाया तो उन्होने फिर अपनी उपस्थिति दर्ज कर चार लाख से अधिक लोगों को भाजपा की सदस्यता दिला दी जो पूरे देश में रिकार्ड है। पूर्व गृह मंत्री पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर बड़ी सहजता से कहते हैं कि वो एक छोटे से कार्यकर्ता हैं और पार्टी उन्हे जो भी काम देगी वो उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाते रहेंगे। बांकी पूर्व गृह मंत्री का यह भी कहना है कि वो कर्म पर विश्वास रखते हैं फल ऊपर वाले और पार्टी के शीर्श नेत्रृत्व के हाथ में है।
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