तत्कालीन शिवराज सरकार के फैसले बदलने की कवायद तेज,घाटे में चल रहे निगम-मंडल हो सकते हैं बंद,मांगी जानकारी

शिवराज सरकार के दौरान ताबड़ तोड़ निगम मंडल खोले गए थे जिससे राज्य सरकार को काफी घाटा पहुंचा है| और अब प्रदेश में मोहन राज है लिहाजा ऐसे निगम-मंडलों को बंद करने की कवायद शुरु होने जा रही है जो घाटे में चल रहे हैं| Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार ऐसे निगम-मंडल और बोर्ड जिनसे शासन को या प्रदेश के नागरिकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है और इसके बावजूद वो संचालित होकर सरकार पर वित्तीय भार बढ़ा रहे हैं,उनकी जानकारी इकट्ठा की जा रही है| वहीं भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षा (कैग) ने भी घाटे में चल रहे निगम-मंडलों के वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी जानकारी मांगी है| इस मामले में वित्त विभाग ने सभी विभाग प्रमुखों को पत्र निख कर ऐसे निगम-मंडलों की 12 बिंदुओं में जानकारी मांगी है| बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की अचार संहिता समाप्त होने के बाद ऐसे निगम-मंडलों को सूची बद्ध कर आगे की कार्रवाई की जाएगी| गौरतलब है कि 46 निगम,मंडल प्राधिकरण और बोर्डों में सरकार नियुक्तियां भी निरस्त कर चुकी है| मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिवराज सरकार के दौरान बनाए गए विभिन्न बोर्ड और प्राधिकरणों की सूची तलब की है| बताया यह भी जा रहा है कि राज्य सरकार उन बोर्ड और प्रधिकरणों को भी बंद करने का निर्णय ले सकती है,जिनका पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में गठन किया गया था| विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने रजक,वीर तेजाजी,तेलघानी,विश्वकर्मा,स्वर्णकला,कुश,महाराणा प्रताप,जय मीनेश,मां पूरी बाई कीर और देवनारायण सहित अन्य कल्याण बोर्ड गठित किए थे|
वित्त विभाग ने सभी विभागों को भेजा प्रोफार्मा
बताया जा रहा है कि वित्त विभाग ने सभी विभागों को एक प्रोफार्मा भेजा है| इसमें उन्हे 12 बिंदुओं की जानकारी भर कर भेजना है| इसमें उन्हे समस्त संविधिक निगम,सरकारी कंपनियों की सूची मांगी है| इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एवं वर्ष के अंत तक निवेशित राशि बतानी होगी| शेयरों की संख्या और भुगतान के योग बताने होंगा| सभी जानकारियों के बीच निगम हानि में चल रहा होगा तो मार्च 2024 के अंत तक पूर्ण हानि का विवरण उसके कारणों को बताना होगा|
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