भाजपा की नैया पार लगाने निकले गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा,विंध्य में जन आशीर्वाद यात्रा का मिला जिम्मा
भारतीय जनता पार्टी जब-जब संकट में आती है तो उसके संकटमोचक डॉ. नरोत्तम मिश्रा होते हैं (Narottam Mishra)। इसकी बानगी आए दिन देखने को मिलती रहती है। सदन में सरकार पर कोई आरोप लगता है तो गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा अंगद की तरह पांव जमा कर विपक्ष को करारा जवाब देते हैं और जब पार्टी में कोई संकट आता है तो गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा 'दादा' संकटमोचक बन कर सामने खड़े हो जाते हैं। पिछले कुछ समय से लगातार यह बातें उठ रहीं थी कि विंध्य इस बार भाजपा से नाराज है। खासकर विंध्य के ब्राम्हण भाजपा से खासे नाराज हैं। विंध्य में ब्राम्हणों की बहुत बड़ी आवादी निवास करती है और वहां की 30 सीटों में उन्ही का प्रभाव देखने को मिलता है। सबसे पहले विंध्य की नाराजी इस बात को लेकर थी कि उन्हे उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला जबकि विंध्य के लोगों ने 30 सीटों में 24 सीटें भाजपा को दी। नाराजगी पर तड़का उस वक्त और लग गया जब सीधी में पेशाब कांड (Sidhi Peshab Kand) हुआ और सरकार ने जल्दबाजी में आरोपी के घर पर बुल्डोजर चलवा दिया इससे ना सिर्फ ब्राम्हण वर्ग भाजपा से नाराज हुआ बल्कि सवर्ण वर्ग में आने वाले सभी लोग भाजपा से नाराज हो गए इस बात की जानकारी भाजपा की इंटरनल रिपोर्ट में सामने आई। ऐसी स्थिति में विंध्य में डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा के पास एक ही चेहरा था डॉ. नरोत्तम मिश्रा। ब्राम्हणों की नाराजगी के चलते ही भाजपा ने चित्रकूट से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से जन आशीर्वाद यात्रा (Jan Ashirwad Yatra) को हरी झंडी दिखवाई और फिर उसको गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के हवाले कर दिया। गृह मंत्री पूर्व में रीवा के प्रभारी मंत्री रहे हैं और उनको वहां की तासीर मालूम है। विंध्य में नरोत्तम मिश्रा को बाहरी नहीं बल्कि घर का नेता माना जाता है। वैसे भी गृह मंत्री जिस विधानसभा दतिया से चुनाव लड़ते हैं पहले वो विंध्य का ही हिस्सा माना जाता था। डॉ. नरोत्तम मिश्रा की ब्राम्हणों के बीच जिस प्रकार की लोकप्रियता है उसी को भुनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उन्हे विंध्य की जिम्मेदारी सौंपी है। और भाजपा यह मान कर चल रही है कि जब गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को जब एक बार कोई जिम्मेदारी सौंप दी जाती है तो उसको पूरा करके ही वो चैन की सांस लेते हैं। लिहाजा अब देखना यह दिलचश्प होगा कि भाजपा द्वारा खेला गया यह ब्राम्हण कार्ड विंध्य को रिझाने में कामयाब होगा अथवा नहीं यह तो वक्त बताएगा।

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