भाजपा 'जनता का आशीर्वाद' लेने के चक्कर में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का 'आशीर्वाद' लेना भूली

भारतीय जनता पार्टी इन दिनों प्रदेश भर में जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है (Jan Ashirwad Yatra)। लेकिन भाजपा की इस यात्रा के दौरान भाजपा यह भूल गई कि पार्टी के नेताओं का आशीर्वाद भी जरुरी होता है क्योंकि उनके एक मत हुए बगैर चुनाव जीतना संभव नहीं है। जबकि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home minister Amit Shah) ने सबसे पहले पार्टी की एकजुटता पर ही सभी नेताओं का ध्यान आकर्षित किया था लेकिन एमपी बीजेपी (mp bjp) के नेताओं ने जब जन आशीर्वाद यात्रा का रोडमैम तैयार किया तो उसमें कई वरिष्ठ नेताओं को उन्होने अनदेखा करते हुए ऐसे नेताओं को आगे किया जो वरिष्ठता की सूची में काफी पीछे आते हैं। जब जन आशीर्वाद यात्रा का रोडमैप तैयार हुआ तो केन्द्रीय नेतृत्व ने क्षेत्रीय और प्रभावशाली नेताओं को महत्व देने के लिए कहा था लेकिन पार्टी ने सबसे पहले महाकौशल क्षेत्र से राकेश सिंह (Rakesh Singh) की ही उपेक्षा कर दी जिनको प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव (Bhupendra Yadav)के हस्तक्षेप के बाद टीम में शामिल किया गया। लेकिन बुंदेलखंड से वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव (Gopal Bhargava) एमपी बीजेपी संगठन ने अपने किसी प्लान में शामिल नहीं किया जिसके चलते उन्होने खुद को अपनी विधानसभा तक सीमित कर लिया। जबकि अमित शाह ने भोपाल दौरे पर सभी नेताओं को स्पष्ट तौर पर बोल दिया ता कि सभी अपने गिले सिकवे दूर कर लें फिर भी उनकी बात को नजरअंदाज कर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और मंत्री गोपाल भार्गव को उपेक्षित कर दिया गया। यात्रा के बैकड्राप में भी गोपाल भार्गव और राकेश सिंह के चेहरे गायब हैं जबकि महिला होने के नाते राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार (Kavita Patidar) को बैकड्राप में स्थान दिया गया है। पाटीदार के चेहरे पर भी नेताओं को आपत्ति है,दबी जुबान में वो कह रहे हैं कि ओबीसी से कृष्णा गौर से लेकर सांसर रीति पाठक और एससी वर्ग से संध्या राय का अधिकार वरिष्ठता के चलते बनता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन ने अपने तरीके से अपने पसंदीदा लोगों को यात्रा के बैकड्राप में शामिल कर एक बार फिर पार्टी के अंदर गुटवाजी को हवा दे दिया है। एक तरफ भाजपा चुनाव जीतने और पार्टी में किसी प्रकार के गुटबाजी होने के दावे को शिरे से खारिज करती है दूसरी तरफ पार्टी के नेता अंदर ही अंदर गुटबाजी की बात को भी स्वीकार कर रहे हैं। सालों से सत्ता और संगठन के लिए काम करने वाले कई नेता हर तीसरे दिन प्रदेश कार्यालय दस्तक देने पहुंचते हैं जिन्हे ऐसे नजरअंदाज किया जाता है जैसे वो किसी अन्य ग्रह के प्राणी हों। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के ऐसे बर्ताव से बहुत से पदाधिकारी काफी नाराज हैं। बहुत से नेता कांग्रेस के दरवाजे झांक रहे हैं।

Sep 14, 2023 - 10:55
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