भारत और आस्ट्रेलिया के बीच फाइनल आज,2003 का 23 में लेंगे बदला
भारत में क्रिकेट धर्म है, आज रविवार के दिन जब एक सौ चालीस करोड़ लोग भारत को वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते देखेंगे तो उन्हें अपने अंदर सिर्फ एक भरोसे को जगाना है- वो 2003 था, ये 2023 है, अब हम ऑस्ट्रेलिया से नहीं घबराते, अब ऑस्ट्रेलिया हमसे घबराता है। क्रिकेट फैंस को 2003 के वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की 125 रन से हार की यादों को दिलो-दिमाग से बाहर करना है। (india vs australia) आखिर क्यों ऑस्ट्रेलिया पर टीम इंडिया है भारी? इस सवाल का जवाब बहुत आसान है। किसी भी खेल में जीत या हार का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है। वो भी जब बात इतने बड़े टूर्नामेंट के फाइनल की हो (icc cwc final)। इसलिए समझदारी इसमें है कि कुछ कसौटियों पर दोनों टीमों को परख लिया जाए. कहानी अपने आप समझ आ जाएगी। पहली कसौटी- इस वर्ल्ड कप में अब तक टीम इंडिया अपराजेय रही है. उसने लगातार 10 मैच जीते हैं. ऑस्ट्रेलिया ने भी फाइनल तक का सफर लगातार 8 जीत के साथ तय किया है लेकिन लीग मैच में उसे भारत और दक्षिण अफ्रीका से हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा अफगानिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ मैच में ऑस्ट्रेलिया को रोना आ गया था। अफगानिस्तान के मैच में 91 रन पर 7 विकेट गंवाने के बाद ग्लेन मैक्सवेल की करिश्माई पारी ने बचा लिया. उसके बाद बांग्लादेश की टीम ने कंगारुओं के खिलाफ 300 से ज्यादा रन ठोक दिए. इससे उलट भारतीय टीम ने इस वर्ल्ड कप में 100-200-300 से ज्यादा रन से भी मैच जीते हैं. विकेट के लिहाज से भारत की सबसे छोटी जीत 4 विकेट की है और रनों के लिहाज से 70 रन की. ये दोनों मैच उसने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले थे. लीग मैच में उसने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हराया था और सेमीफाइनल में 70 रन से. अब आप ये आसानी से समझ सकते हैं किस टीम के पास ‘कंसिसटेंसी’ बेहतर है। इस कसौटी पर भी टीम इंडिया कहीं आगे है. भारतीय टीम को मिली हर जीत में कई खिलाड़ियों का योगदान है. टीम इंडिया की स्थिति ऑस्ट्रेलिया जैसी नहीं जहां एक मैच में ग्लेन मैक्सवेल के दोहरे शतक से जीत मिली और सेमीफाइनल में तो पैट कमिंग्स और मिचेल स्टार्क को क्रीज पर डटकर संघर्ष करना पड़ा वरना बल्लेबाजों ने तो काम खराब कर दिया था. इससे उलट भारतीय टीम की जीत में कई स्टार हैं। टॉप ऑर्डर से लेकर मिडिल ऑर्डर तक हर बल्लेबाज ने अपना रोल बखूबी निभाया है. कुछ ऐसी ही कहानी गेंदबाजी की भी है, जहां तेज गेंदबाजों को स्पिनर्स से पूरा सहयोग मिला है. भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा को फाइनल तक के सफर में किसी एक या दो खिलाड़ी के प्रदर्शन पर ही नहीं निर्भर रहना पड़ा है बल्कि पूरी टीम मिलकर मंजिल की तरफ बढ़ी है। आस्ट्रेलिया की तुलना में टीम इंडिया ज्यादा एकजुट नजर आ रही है आंकड़े इस बात को साबित करते हैं। पहले बल्लेबाजों की बात कर लेते हैं. विराट कोहली के खाते में सबसे ज्यादा 711 रन हैं. लेकिन रोहित शर्मा ने 550, श्रेयस अय्यर ने 526, केएल राहुल ने 386 और शुभमन गिल ने 350 रन बनाए हैं. इसके बाद बात गेंदबाजों की, मोहम्मद शमी ने सबसे ज्यादा 23 विकेट लिए हैं. लेकिन जसप्रीत बुमराह के खाते में भी 18, जडेजा के खाते में 16, कुलदीप यादव के खाते में 15 विकेट हैं. यहां तक कि सेमीफाइनल में बेरंग दिखे मोहम्मद सिराज ने भी टूर्नामेंट में 13 विकेट लिए हैं. ये आंकड़े दिखाते हैं कि बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में बेहतरीन एकजुट प्रदर्शन रहा है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि भारत ने अब तक खेले 10 मैच में एक बार चार सौ का आंकड़ा भी पार किया है और दो बार विरोधी टीम को 100 रन के भीतर समेटा है।
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