बच गए जीतू पटवारी,औपचारिकता के लिए दिया इस्तीफा केन्द्रीय नेतृत्व ने किया अस्वीकार

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने कमलनाथ को दूध में पड़ी मक्खी की तरह प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा कर पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी थी| कांग्रेस को उम्मीद थी कि एक युवा चेहरा आएगा तो नए जोश और उत्साह के साथ पार्टी को मजबूत करेगा और लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें जीत कर लाएगा| लेकिन कांग्रेस नेताओं के मनसूबों पर उसी वक्त पानी फिरने लगा था जब एक-एक नहीं बल्कि थोक में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पार्टी का दामन छोड़ना शुरु कर दिया था| बात यहीं खत्म नहीं हुई पहले छिंदवाड़ा से कांग्रेस विधायक ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया और फिर इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार अक्षय बम ने ऐसा ब्लास्ट किया कि उसके धमाके की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई पड़ी, बम का धमाका इतना जबरदस्त था कि कांग्रेस पार्टी का लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश से सफाया हो गया| कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली छिंदवाड़ा को भी भारतीय जनता पार्टी ने भेद कर रख दिया और नकुलनाथ को पराजय का सामना करना पड़ा| लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जीतू पटवारी ने केन्द्रीय नेतृत्व को बेमन ही सही इस्तीफे की पेसकश की थी लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने उनका इस्तीफा लेने से इंकार कर दिया| दरअसल इस वक्त कांग्रेस पार्टी चाह कर भी अध्यक्ष नहीं बदल सकती क्योंकि कांग्रेस के पास विकल्प नहीं हैं| जितने भी कांग्रेस के पास गिनती के नेता हैं उन सभी नेताओं को कांग्रेस आजमा चुकी है जितनों को कांग्रेस ने आजमाया है उनमें एक भी नेता भाजपा की रणनीति के सामने टिक नहीं पाया है| लिहाजा कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व अब जीतू पटवारी के भरोसे ही अगले कुछ महीनों तक एमपी कांग्रेस को चलाना चाहता है|
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