'सियासत में राम' भाजपा और कांग्रेस के बीच छिड़ा संग्राम,'सबके हैं राम'
चुनावी माहौल हो और राजनीतिक पार्टियों की जुवान पर भगवान श्रीराम का नाम ना हो ऐसा भारत देश में तो संभव नहीं है। समय-समय पर नेता यह बता देते हैं कि जब तक भगवान राम की क्रिपा उन पर है तब तक तो वो अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक ही सकते हैं। इसकी बानगी उस वक्त देखने को मिली जब खुद को हनुमान भक्त कहने वाले कमलनाथ (Kamal Nath) ने छिंदवाड़ा में नामांकन भरने के दौरान सियासी हुंकार भरते हुए कहा, भाजपा नेता तो ऐसे बता रहे हैं कि जैसे राम मंदिर (Ram Mandir Ayodhya) उनका हो। कमलनाथ के इस बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा नेताओं ने कहा कि कमलनाथ चुनावी हिंदू हैं और चुनाव देख कर छद्म हिंदुत्व राग अलापने लगते हैं। लेकिन देश की जनता जानती है कि उनकी ही पार्टी ने भगवान राम और राम सेतु के अस्तित्व को नकारा था। इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) ने भी कांग्रेस पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण को लटकाने,भटकाने,अटकाने वाले और प्रभु श्रीराम को काल्पनिक बताने वाले कांग्रेस नेता किस मुंह से राम मंदिर पर बात कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं को राम मंदिर पर बात करने का अधिकार नहीं है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि बाबरी विध्वंस के बाद भाजपा की चार राज्य सरकारों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। जिसमें मप्र की भाजपा सरकार भी शामिल थी। सरकार को बर्खास्त करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी असंबैधानिक बताया था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद बनाने का फिर से संकल्प लिया था। यह निर्णय लेने वाली सरकार में सनातन विरोधी कमलनाथ प्रमुखता से शामिल थे। गुरुवार को केन्द्रीय मंत्री मिनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) ने भी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कन्या पूजन को नौटंकी बताने वाले कभी भारतीय संस्कृति और सनातन के पक्ष में नहघं हो सकते। कांग्रेस में कभी महिलाओं का सम्मान नहीं हुआ। जबकि भाजपा सरकार ने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए कानून बनाया। तीन तलाक की कुप्रथा समाप्त की। प्रदेश में पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया है।
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