खुद के बनाए जाल में उलझी कांग्रेस,अपनी ही सीट पर उलझे कांग्रेस के महारथी
लोकसभा चुनाव में एमपी से करीब दस सीटें जीतने का कांग्रेस (mp congress) के नेता दावा कर रहे हैं जबकि हकीकत उसके कुछ उलट ही देखने को मिल रही है। दरअसल कांग्रेस पार्टी में जिन नेताओं के ऊपर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में संगठन को सक्रिय करने की सियासी जिम्मेदारी थी अब वो सभी नेता अपनी ही सीट पर उलझ कर रह गए हैं। कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा सतना से तो आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम को बैतूल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार गया है। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़, कमलनाथ छिंदवाड़ा और कांतिलाल भूरिया रतलाम में उलझ कर रह गए हैं। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने रणनीति के तहत कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। गौरललब है कि 2018 से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथों में पार्टी की पूरी बागडोर थी वही सत्ता और संगठन के केंद्र बिंदु थे उन्होंने अपने हिसाब से जमत भी की थी लेकिन जब चार माह पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली तो पार्टी ने उन्हें हटाकर जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद प्रदेश में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग को पार्टी के पक्ष में जोड़ने की जिम्मेदारी जिन संगठनों की थी, उनके मुखिया ही चुनाव लड़ रहे हैं। Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार न तो सिद्धार्थ कुशवाहा सतना छोड़ रहे हैं और न ही रामू टेकाम बैतूल से बाहर निकल पा रहे हैं। इससे संगठन की गतिविधियां भी एक प्रकार से तप हो गई हैं और टीम भी एक दिशा में काम नहीं कर पा रही है। यही स्थिति युवा कांग्रेस के साथ भी हो रही थी। इसके प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया के पिता कांतिलाल भूरिया रतलाम लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। वह स्वयं झाबुआ से विधायक भी हैं जो रतलाम लोकसभा क्षेत्र में ही आता है इसलिए वो पूरा समय वहीं दे रहे थे। इससे संगठन की गतिविधियां प्रभावित हो रही थी जिसे देखते हुए उन्होंने पद छोड़ने की पेशकश की, जिसे स्वीकार करते हुए अब मितेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है। फिलहाल भाजपा के आगे कांग्रेस के चुनावी जमावट की बात करें तो कांग्रेस बेहद कमजोर नजर आ रही है। भाजपा के नेता एक साथ एक दिन में आठ से दस लोकसभा सीट कवर कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस एकात सीट से आगे नहीं निकल पा रही है। इसके अलावा कांग्रेस इतने बड़े चुनाव में कांर्यकर्ताओं की कमी से भी जूझ रही है।
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