एमपी में सियासी जमीन की तलाश में तीसरे दलों ने कई सीटों पर भाजपा-कांग्रेस का बिगाड़ा गणित
मप्र में मतदान हो चुका है और उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है (mp elections)। साल 2018 की तुलना में इस साल बंपर वोटिंग हुई है जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। भाजपा के नेताओं का मानना है कि लाड़ली बहना योजना के कारण महिलाएं घर से बाहर निकली हैं और भाजपा कज पक्ष में वोट किया है वहीं कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जिस प्रकार से अपने वचन पत्र में गारंटियां दी हैं उसी का परिणाम है कि प्रदेश में बंपर वोटिंग हुई है। खैर किस पार्टी का वर्चश्व होगा वो तो तीन दिसंबर को ही पता चलेगा लेकिन सबसे अहम बात यह है कि मप्र में हुए इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा,आमआदमी पार्टी,सपा सहित कई अन्य दलों ने भी खूब पसीना बहाया और मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। प्रदेश की करीब दो दर्जन से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है। अकेले विंध्य की दर्जन भर सीटों में त्रृकोणीय मुकाबला देखने को माल रहा है। जिसमें बीएसपी और सपा दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने अलग-अलग सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को खासी टक्कर दी है। पूरे एमपी में माना जा रहा है कि बीएसपी की करीब पांच से छह सीटें आने वाली हैं। जिस प्रकार से वोटिंग प्रतिशत आया है उससे दोनों पार्टियों में उत्साह तो खूब है लेकिन अंदर ही अंदर दोनों पार्टियों में चिंता की लकीरें भी देखने को मिल रही हैं। सभी नेता हिसाब लगाने में जुट गए हैं कि वोट प्रतिशत बढ़ा है तो इसका मतलब क्या है?

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