राजगढ़ बनी हाट सीट,दिग्विजय सिंह ने झोंकी ताकत,बीजेपी के वरिष्ठों ने दिखाया दम

May 5, 2024 - 16:08
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राजगढ़ बनी हाट सीट,दिग्विजय सिंह ने झोंकी ताकत,बीजेपी के वरिष्ठों ने दिखाया दम
Digvijay Singh

राजगढ़ की लोकसभा सीट में गर्मी के टंपरेटर के साथ सियासी गर्मी भी तेज होती चली जा रही है। इस चुनाव ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। लगभग एक दशक के बाद इस सीट पर इतनी गहमा-गहमी देखी जा रही है और लोग इस बार के चुनाव में काफ़ी दिलचस्पी ले रहे हैं। इसका कारण साफ़ है। इस सीट पर दो बार भारतीय जनता पार्टी के रोडमल नागर ने आसान जीत दर्ज की है।

पिछली बार वो 4 लाख से भी ज़्यादा वोटों से जीते थे। ऐसे अनुमान लगाए जा रहे थे कि इस बार भी लड़ाई एकतरफा ही होगी। ये तब तक था जब तक कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश में अपने सबसे कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के नाम की घोषणा नहीं की थी। इस सीट पर दिग्विजय सिंह की वापसी 32 साल के बाद हुई है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं निकाला जा सकता है कि उनकी स्थिति मज़बूत है।

इसी लोकसभा क्षेत्र के सुदूर इलाक़े में चुनावी सभा या यूं कहिए कि नुक्कड़ सभा चल रही है। दिग्विजय सिंह राजगढ़ में जहां भी सभा करते हैं अपने पुराने रिश्ते की लोगों को याद दिलाते हैं। फिर ख़ुद के बारे में ‘फैली अफ़वाहों’ पर सफाई भी देते हैं। दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र की चर्चा करते हैं जिसे वो कांग्रेस का ‘गारंटी कार्ड’ बताते हैं। इसी बीच वो लोगों से कहते हैं "जिस किसी को कांग्रेस के गारंटी कार्ड के बारे में जानकारी नहीं है वो अपना हाथ उठाएं। वहीं पर मौजूद उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने भी अपना हाथ उठा दिया। दिग्विजय सिंह हक्के-बक्के रह गए। फिर उन्होंने ‘कांग्रेस का गारंटी कार्ड’ मंगवाया और अपने भाई को उसे पढ़ने के लिए कहा। लक्ष्मण सिंह इस सीट से सांसद रह चुके हैं। मगर उन्होंने ये सीट भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रहते हुए जीती थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

इस सीट को कांग्रेस की पारंपरिक सीट माना जाता था क्योंकि साल 1952 से कांग्रेस ने इस पर 9 बार जीत दर्ज की थी। भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर 6 बार जीत दर्ज की है। दो बार इस सीट को जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने जीता था जबकि एक बार ऐसा हुआ कि एक निर्दलीय ने भी इस सीट को जीतकर सबको चौंका दिया था। 

दिग्विजय सिंह ने इस सीट को 1994 में छोड़ा था। इसके बाद बतौर कभी कांग्रेसी और कभी बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह ने इस सीट को जीता था।

साल 2009 में बीजेपी उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस के नारायण सिंह अम्बाले ने हरा दिया था। फिर साल 2014 से इस सीट से बीजेपी के रोडमल नागर ही जीतते आए हैं।

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