संविदा कर्मियों के वेतन पर शासकीय अधिकारी लगा रहे पलीता,1500 आयुष चिकित्सकों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी
चार जुलाई को भोपाल में संविदा महासम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का तोहफा दिया । 22 जुलाई को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए लेकिन पता चला है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार संविदा कर्मचारियों को नियमित के समकक्ष कर्मचारियों के पद के न्यूनतम वेतनमान का सत प्रतिशत वेतन एवं महंगाई भत्ता महंगाई दर के अनुसार दिया जाने का आदेश जारी किया गया है। विभागीय सेटअप मे समकक्ष पद ना होने पर एक अप्रैल 2018 की स्थिति में कर्मचारी की सैलरी अथवा समकक्ष पद निर्धारण के उपरांत पद के वेतनमान के शत प्रतिशत में से जो भी अधिक हो उसे वेतन मानते हुए महंगाई दर दिए जाने का निर्णय एवं दिशा निर्देश जारी किए गए थे । संविदा आयुष चिकित्सक संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले 15 से 20 वर्षों से काम कर रहे आयुष चिकित्सा अधिकारियों जो ओपीडी एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं उन सभी आयुष चिकित्सकों को मेडिकल सोशल वर्कर की श्रेणी में डालकर उनके मान सम्मान एवं वेतनमान के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है जो कतई बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जब राज्य सरकार द्वारा भर्ती प्रक्रिया में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए एवं विभागीय सेटअप में आयुष चिकित्सा अधिकारियों (आयुर्वेदिक चिकित्सा/ होम्योपैथिक चिकित्सा /यूनानी चिकित्सा )के समकक्ष 5400 ग्रेड पे एवं ₹56100 न्यूनतम वेतनमान पूर्व में 2018 में भी निर्धारित किया जा चुका था फिर वर्तमान पॉलिसी में संविदा आयुष चिकित्सा अधिकारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार अधिकारियों को किसने दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेट्री मध्य प्रदेश शासन, स्वास्थ्य मंत्री और अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से अनुरोध किया है कि मुख्यमंत्री द्वारा बनाई गई संविदा नियमितीकरण पॉलिसी के अनुसार संविदा आयुष चिकित्सकों के भविष्य का निर्धारण करें अन्यथा की स्थिति में मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत काम होने पर दुखी मन से प्रदेश में कार्यरत सभी आयुष चिकित्सा अधिकारी सामूहिक निर्णय लेंगे, जिसके जिम्मेदार विभागीय अधिकारी होंगे।

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