विंध्य में होगी मिली जुली सरकार,कांग्रेस,भाजपा के बाद बसपा को भी मिलेंगी सीटें
मप्र की राजनीति में विंध्य क्षेत्र किसी जमाने में विशेष स्थान रखा करता था (Vindhya Politics)। लेकिन श्रीनिवास तिवारी (Shrinivas Tiwari) और पूर्व सीएम अर्जुन सिंह (Arjun Singh) के स्वर्गवासी होने के बाद विंध्य में एक भी ऐसा नेता तैयार नहीं हो पाया जो विंध्य को एकबार फिर सियासत के शिखर तक लेकर जाए। धीरे-धीरे भाजपा ने विंध्य में अपना वर्चश्व बनाया वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि भाजपा ने जतीय समीकरण की नब्ज टटोल कर उम्मीदवार उतारे और उसमें भाजपा को सफलता मिली। साल 2018 में तो विंध्य में कांग्रेस को 30 में से महज छह सीटें मिलीं जिसके कारण कांग्रेस जादुई आंकड़े तक पहुंचते-पहुंचे रह गई। अब इस साल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा एकबार फिर दम मार रही हैं लेकिन स्थिति दोनों के लिए ठीक नहीं है। रीवा की सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने ब्राम्हण उम्मीदवार उतारे हैं जिसमे राजेन्द्र शुक्ला एक बार फिर चुनाव जीतते नजर आ रहे हैं। गुढ़ की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस ने ठाकुर प्रत्याशियों को मौका दिया है जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार कपिध्वज सिंह की स्थिति ठीक नजर आ रही है। देवतालाब की बात करें तो कांग्रेस भाजपा ने चाचा भतीजे को एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया है इसलिए माना जा रहा है कि यहां से बीएसपी उम्मीदवार जीत का पर्चम लहरा सकता है। मऊगंज से बात करें तो वहां सुखेन्द्र सिंह बन्ना और प्रदीप पटेल के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है लेकिन यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती दिख रही है। सिरमौर की बात करें तो कई ब्राम्हण खड़े हैं,दो ठाकुर प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं और कांग्रेस ने रामगरीब आदिवासी पर दांव लगाया है,यह सीट कांग्रेस के पाले में जाती दिख रही है। सेमरिया की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ब्राम्हण उम्मीदवार पर दांव लगा कर बीएसपी के लिए जीत का दरवाजा खोल दिया है। त्योंथर विधानसभा सीट बीजेपी अथवा बीएसपी जीतती रही है। इस बार भाजपा ने ऐन मौके पर कांग्रेस से भाजपा में आए सिद्धार्थ तिवारी (Siddharth Tiwari) पर दांव लगाया है जो बाहरी कैंडिडेट हैं और कांग्रेस ने दो बार हार चुके रमाशंकर पटेल (Ramashankar Patel) (कुर्मी) को चुनाव मैदान में उतार दिया है,यह सीट ब्राम्हण बाहुल मानी जाती है,और सिद्धार्थ तिवारी की स्थिति ठीक बताई जा रही है लेकिन बीएसपी यहां छुपी रुस्तम की तरह जीत का पर्चम लहरा दे तो कोई असंभव की बात नहीं होगी। यानि रीवा की राजनीति में इस बार खिचड़ी सरकार का बोलबाला देखने को मिल सकता है।

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