सिंधिया समर्थक उम्मीदवारों पर फंसा पेंच,पार्टी हाई कमान डैमेज कंट्रोल में जुटा
मप्र भाजपा की दूसरी सूची में सिंधिया समर्थकों (Scindia supporters) की दावेदारी ने पेंच फंसा दिया है। जिन सीटों पर समर्थक टिकट मांग रहे हैं, वहां पुराने भाजपा नेता सक्रिय हैं। इधर पार्टी को भी जिताऊ चेहरे की तलाश है। मध्य प्रदेश की सियासत में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का बड़ा कद है जिसके भरोसे वर्ष 2020 में भाजपा ने उस कांग्रेस से सत्ता छीनी थी। पिछले कुछ महीनो से ज्योतिरादित्य सिंधिया का समय ठीक नहीं चल रहा है। पिछले कुछ समय में फोन के पांच बड़े वफादार अब तक कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। इतना ही नहीं भिंड के गोहद से रणवीर सिंह जाटव (Ranveer Singh Jatav) का टिकट काटने के बाद समर्थ कौन है जिस तरह से खून से खत लिखकर अपनी विवशता को दर्शाया था ,उससे यह लगने लगने लगा है कि आने वाले समय में सिंधिया के कुछ और वफादार उनका साथ छोड़ सकते हैं। Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के मुताबिक हारी हुई सीट पर प्रत्याशी तय करने बैठे भाजपा के निर्णयकर्ताओं को अपनी अनुशंसा सहित जिस सूची को दिल्ली भेजा है,उसमें कई सिंधिया समर्थकों के नाम गायब बताए जा रहे है। इनमें से चंबल-ग्वालियर अंचल की वो सीटें शामिल हैं। उपचुनाव में हारे सिंधिया समर्थकों की दावेदारी भी अब कमजोर पड़ती जा रही है। गौरतलब है कि जब उपचुनाव हुए तो भाजपा ने सिंधिया समर्थकों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। तब इन समर्थकों के लिए भाजपा के पुराने नेताओं ने अपनी कुर्बानी दी थी। इनमें से कई ऐसे नेता हैं,जिन्होने भाजपा को अपने-अपने क्षेत्रों में खड़ा किया था। लेकिन सरकार को बहुमत लाने के लिए इन नेताओं ने तब चुप्पी साध ली थी। और अब ऐसी स्थिति नहीं है उपचुनाव में सिंधिया समर्थक 6 नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। जिससे उनकी दावेदारी कमजोर पड़ी है और अब पार्टी का पूरा फोकस जिताऊ चम्मीदवार पर आकर टिक गया है। ऐसे में इन समर्थकों के साथ-साथ इस चुनाव में टिकट की आस लगाए बैठे नेताओं की भी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

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