अबकी बार 'गणेश विसर्जन' पर ध्यान,सतना रीवा की जनता भाजपा के 'थोपे' उम्मीदवारों से नाराज

लोकसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने देश के 16 राज्यों की 195वे लोकसभा सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसमें एमपी की 29 सीटों के 24 उम्मीदवार भी शामिल हैं। भाजपा ने इस बार कोई भी चौकाने वाला निर्णय नहीं लिया जो जनता के गले से नहीं उतर रहा है। विंध्य की बात करें तो सतना लोकसभा सीट से सांसद गणेश सिंह (ganesh singh) पर भाजपा ने एक बार फिर भरोसा कर स्थानीय जनता को नाराज कर दिया है। सतना एक ब्राम्हण बाहुल सीट मानी जाती है और गणेश सिंह कुर्मी समाज से आते हैं। और गणेश सिंह एक कट्टर जातिवादी नेता माने जाते हैं जिसके चलते अन्य वर्ग के लोग उनसे नाराज रहते हैं। दो बार सतना की जनता ने मोदी के नाम पर सांसद बना दिया लेकिन इस बार सतना की जनता गणेश सिंह को फिर सांसद नहीं बनाना चाहती है। जनता मोदी को तो चाहती है लेकिन गणेश सिंह को नहीं चाहती जिसका उदाहरण विधानसभा चुनाव में देखने को मिल चुका है। सतना की जनता गणेश सिंह को विधानसभा चुनाव में हरा चुकी है। कुछ ऐसा ही हाल रीवा का भी देखने को मिल रहा है जहां भाजपा ने दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है। जनार्दन मिश्रा को राजेन्द्र शुक्ला का डमी कैंडीडेट के रुप में माना जाता है। जनार्दन मिश्रा एक सरल और सौम्य सांसद की छवि रखते हैं लेकिन उनकी समस्या ये है कि वो क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहते हैं। दस साल तक सांसद रहने के बाद भी जनार्दन मिश्रा आज तक पूरे रीवा का भ्रमण नहीं कर पाए हैं। रीवा की जनता बहुत जागरुक मानी जाती है। थोपे गए नेताओं को रीवा की जनता ज्यादा बर्दास्त नहीं करती है। लिहाजा इस बार के लोकसभा चुनाव में रीवा और सतना की लोकसभा सीटें भाजपा के लाए कठिनाई पैदा कर सकती हैं। देखना दिलचश्प यही होगा कि जनता की नाराजगी जीतती है अथवा मोदी की गारंटी के आगे जनता नतमस्तक होती है।

Mar 5, 2024 - 12:32
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