‘पंजा छाप भाजपाइयों’ के कारण घटा मतदान,प्रदेश की कई लोकसभा सीटों से आई विवाद की खबरें,भाजपा के पुराने कार्यकर्ता खुद को मान रहे असुरक्षित

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के अनुसार इस बार 1.61 फीसदी मतदान कम हुआ है जिसका प्रमुख कारण कांग्रेस से भाजपा में आए कार्यकर्ताओं को माना जा रहा है| पार्टी सूत्रों के मुताबिक एमपी में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब जिला अध्यक्षों से रिपोर्ट तलब की जा रही है जिसमें यह खुलासा सामने आ रहे हैं| Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए कार्यकर्ताओँ के कारण शहर से लेकर गांव तक मतदान प्रभावित हुआ| लोकसभा चुनाव के चारों चरणों के मतदान औसत की बात करें तो 66.87 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछले चुनाव से 1.61 प्रतिशत कम है| भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन ने जब गिरे मतदान की वजह पता लगाने का काम शुरु किया तो चौकाने वाले तत्थ्य सामने आए| बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक सभा के दौरान मंच पर चढ़ने को लेकर कांग्रेस से आए नए पुराने भाजपाइयों के बीच मारपीट जैसी स्थिति बन गई थी| आदिवासी सीटों पर भी मतदान प्रतिशत गिरने की यही वजह मानी जा रही है| लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से आए कार्यकर्ता कांग्रेस की कार्यशैली में ही काम करते नजर आए| वो अब तक भाजपा की रीति-नीति से वाकिफ नहीं हैं| इसका नुकसान भाजपा को चुनाव प्रचार से लेकर मतदान के दिन बूथ स्तर पर भी उठाना पड़ा| गौरतलब है कि कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति के तहत कांग्रेस से करीब पांच लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल कराया गया था| इस बीच माना जा रहा है कि भाजपा ने दस प्रतिशत वोट शेयर के लिए जमकर पसीना बहाया लेकिन कार्यकर्ताओं में आपसी समन्वय ने होने के कारण यह प्रभावित हुआ| बात यह भी निकल कर सामने आ रही है कि पुराने भाजपाइयों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है| जिसके कारण भाजपा के जो मूल कार्यकर्ता थे उन्होने भी चुनाव में उस ताकत के साथ दिलचश्पी नहीं ली जिस तरह से वो अन्य चुनाव में पार्टी के लिए मेहनत किया करते थे|
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