कांग्रेस मीडिया विभाग की लंका लगा चुके आखिर आपस में बात क्या कर रहे हैं?
मप्र में कांग्रेस (mp congress) की करारी हार के बाद बड़ा बदलाव किया गया है। आमतौर पर किसी भी राजनीतिक पार्टी का चेहरा उसका मीडिया विभाग माना जाता है (congress media department)। भाजपा के मीडिया विभाग ने तो बगैर आत्म विश्वास में आए बढ़िया काम किया लेकिन कांग्रेस पार्टी के मीडिया विभाग की हालत तो ऐसी हो गई कि वो मंत्रिमंडल से लेकर निगम मंडल तक बनाने लगे थे। इतना ज्यादा आत्म विश्वास बढ़ गया था कि किसी को फोन पर बात करते थे तो यही कहते थे कि कांग्रेस की सरकार आ रही है हमारे हिसाब से काम करो। कांग्रेस का मीडिया विभाग ही था जो कमलनाथ से जाकर कहता था कि इस बार 180 से ज्यादा सीटें कांग्रेस जीत कर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। ये ऐसे लोग हैं जो अति आत्म विश्वास में आकर पत्रकारों की लिष्ट तैयार कर रहे थे। बहुत सारे पत्रकारों को इन्होने ब्लैकलिष्ट किया था। कांग्रेस मुडिया विभाग की कमान पूर्व पत्रकार पीयूस बबेले और केके मिश्रा के हाथ में थी। जिन्होने अति आत्म विश्वास के चलते पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर पत्रकारों तक को कुछ नहीं समझा। कांग्रेस मीडिया विभाग को लग रहा था कि 'गोल्डन' गैंग को अपने पक्ष में कर लेंगे तो सबकुछ ठीक हो जाएगा। हुआ भी वैसा ही। इन्होने खुद का तो ठीक कर लिया लेकिन दूसरों को बरबाद कर दिया। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद इनके चेहरे में सिकन नहीं बल्कि और ज्यादा चमक दिखाई पड़ रही है। तस्वीर से ऐसा लग रहा है कि जैसे दोनों एक दूसरे को कान में कह रहे हों कि कांग्रेस का काम तो ठिकाने लगा दिया अब अगे क्या करना है।
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