विंध्य में भाजपा का इतना फोकस क्यों,क्या कुछ दाल में काला है या फिर पूरी दाल ही काली है...
विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव विंध्य (vindhya) हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए अबूझ पहेली रहा है। अब बात लोकसभा चुनाव (lok sabha elections) की करते हैं बीजेपी ने अपने सभी 29 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जिसमें संसदीय सीट और जातिगत आधार को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार दिया है। बुधवार को सीधी में बीजेपी उम्मीदवार डॉ. राजेश मिश्रा को पार्टी ने चुनाव मैदान पर उतार दिया है। लेकिन राजेश मिश्रा को भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता पसंद नहीं कर रहे हैं यही कारण है कि बुधवार को उनके नामांकन के लिए सीएम मोहन यादव और डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला खुद पहुंचे। इस दौरान रोड शो और एक बड़ी जनसभा का आयोजन कर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाने का जमकर प्रयास किया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भी भाजपा हाई कमान ने विंध्य में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी। पीएम मोदी की जनसभाएं हों अथवा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विंध्य में दौरे हों। भाजपा के इन दोनों बड़े नेताओं ने विंध्य की कमान खुद अपने हाथ में ली जिसका परिणाम ये निकला की विंध्य की जनता ने बीजेपी के खाते में 30 में से 25 सीटें देकर बीजेपी को मालामाल कर दिया। और अब लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरु होते ही बीजेपी के नेताओं के केन्द्रबिंदु में एक बार फिर विंध्य और वहां की जनता है। Mukhbirmp.com को मिली जानकारी के अनुसार जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए भाजपा ने अंदर खाने से कई तरह की रणनीति तैयार कर रखी है। इस बात में कोई शक नहीं है कि विंध्य की राजनीति हमेशा कठिन मानी जाती रही है क्योंकि देश की सबसे बड़ी सवर्णों की आवादी विंध्य में ही निवास करती है और भारतीय जनता पार्टी जो ब्राम्हण,बनिया की पार्टी जानी जाती थी वही पार्टी आज पिछड़ा वर्ग समर्थित पार्टी मानी जाने लगी है जिसके कारण सवर्ण वर्ग अब भाजपा से दूर होने लगा है लिहाजा विंध्य में बीजेपी को सीटें जीतने के लिए अपने सभी प्रकार के अस्त्र और शस्त्र इस्तेमाल करने कड़ेंगे।

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