'फ्री' की सियासत और 'फ्री' की सत्ता
'फ्री' की सियासत और 'फ्री' की सत्ता
भोपाल। वर्तमान राजनीति नारी को शक्ति का दर्जा तो देती है लेकिन शक्ति की कीमत महज एक हजार और 1500 रुपये में सिमट कर रह गई है। दरअसल मिशन 2023 की तैयारी में जुटी कांग्रेस और भाजपा के निशाने पर इस वक्त प्रदेश की आधी आबादी यानी कि नारी शक्ति निशाने पर है। सत्ता में आने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने इस समय 'फ्री- फ्री' का ऑफर लागू कर दिया है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने सबसे पहले नारी सशक्तिकरण के नाम पर लाडली बहना योजना को लांच किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना का जैसे ही ऐलान किया तो कांग्रेसी खेमे में हलचल मच गई कांग्रेस के नेता इस योजना का तोड़ ढूंढने में जुट गए। आखिर में फैसला हुआ कि भाजपा की सरकार एक हजार रुपये प्रतिमाह दे रही है तो कांग्रेस की सरकार आने पर महिलाओं को 1500 रुपए और घरेलू गैस 500 में दिए जाएंगे।
मतलब साफ है कि प्रदेश की महिलाओं की भावनाएं इतनी सस्ती है कि भाजपा और कांग्रेस ने एक हजार और 1500 में नारी शक्ति की भावनाओं की बोली लगा दी। यह जगजाहिर है कि भारतीय महिलाएं भावुक होती हैं छोटी से छोटी चीजों में वह अपनी खुशियां तलाशती हैं। महिलाओं के उसी भावना की कीमत अब भाजपा और कांग्रेस लगा रही हैं। दोनों ही पार्टियां कह रही हैं कि नारियों का सशक्तिकरण हो रहा है। अब सवाल यह उठता है कि 'फ्री- फ्री' के ऑफर में नारियां सशक्त कैसे होंगी। क्या भाजपा के एक हजार और कांग्रेस के 1500 रुपये के ऑफर में महिलाएं सशक्त हो जाएंगी। अब मजे की बात यह है कि इस योजना का धुआंधार तरीके से प्रचार प्रसार हो रहा है जिसका नतीजा यह है कि एक हजार रुपये पाने के लिए महिलाएं बैंक में खाता खुलवाने के लिए दिन-दिन भर कतार में खड़ी हो रही हैं। फार्म भरने की प्रक्रिया इतनी जटिल की गई है कि महिलाएं चिलचिलाती धूप में KYC सहित बैंक की अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए लगातार परेशान हो रही हैं। महिलाओं को सशक्त करना है तो उनके लिए रोजगार की स्कीम लाई जा सकती है उन्हे सशक्त करने के नाम और उन्हे अधिकार देने के नाम पर यह कैसी योजनाएं हैं जिसके तहत उन्हे एक हजार रुपये देकर और लाचार किया जा रहा है।
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